Tuesday 31 July 2012


राजनितिक शाषन
राजनितिक का यह है देश,
समझो तुम गुलाम इसे।
पहले थी अंग्रेजी शाषन ,
अब है राजनितिक शाषन
राजनितिक का यह है देश,
समझो तुम गुलाम इसे।

कुछ नेते अच्छे हुए ,
कुछ का तो जवाब नहीं।
 J.Pजैसेमहापुरुष इस,
धरती के संतान हुए ।
राजनितिक का यह है देश। 

देख के भारत की दुर्दशा,
मन का भाव छलक उठा,
आगे क्या मई लिखू कविता,
हृदय मेरा कांप गया,
राजनितिक का यह है देश,
समझो तुम गुलाम इसे।
                     संतोष कुमार 

प्यारी बोली 
कोयल की बोली है नयरी 
मीठी-मीठी प्यारी-प्यारी 
कोयल यह सिखलाती है।
सबसे अच्छें स्वर में बोलो।
कभी किसी को बुरा न बोलों 
बोरा न देखो, बुरा न सुनो।
बस प्यारी-प्यारी वाणी बोलो।
                           संतोष कुमार 

Monday 30 July 2012

मेरी कबिताये 
चिड़िया की आवाज चूँ - चूँ 

चिड़ियाँ चूँ -चूँ  करती है।
दिन भर इधर से उधर भटकती है ।
अपने बच्चो की खातिर वह,
शिकारी के जाल  में भी फसती है ।
लेकिन जब बच्चे बड़े हो जाते है ,
तो छोड़ बसेरा उड़ जाते है।
उनको फिर क्या फिकर किसी का,
वे तो मतवाले है, उड़ते जाते आकाश में 
जितने ऊपर चाहते है।
लेकिन एक दिन एसा आता है। 
जब वे शिकारी के जाल में फंस जाते है।
और वे चूँ -चूँ  करते रह जाते है ।
                                                Santosh kumar

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