मेरी कबिताये
चिड़िया की आवाज चूँ - चूँ
चिड़ियाँ चूँ -चूँ करती है।
दिन भर इधर से उधर भटकती है ।
अपने बच्चो की खातिर वह,
शिकारी के जाल में भी फसती है ।
लेकिन जब बच्चे बड़े हो जाते है ,
तो छोड़ बसेरा उड़ जाते है।
उनको फिर क्या फिकर किसी का,
वे तो मतवाले है, उड़ते जाते आकाश में
जितने ऊपर चाहते है।
लेकिन एक दिन एसा आता है।
जब वे शिकारी के जाल में फंस जाते है।
और वे चूँ -चूँ करते रह जाते है ।
Santosh kumar
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