Tuesday 31 July 2012


राजनितिक शाषन
राजनितिक का यह है देश,
समझो तुम गुलाम इसे।
पहले थी अंग्रेजी शाषन ,
अब है राजनितिक शाषन
राजनितिक का यह है देश,
समझो तुम गुलाम इसे।

कुछ नेते अच्छे हुए ,
कुछ का तो जवाब नहीं।
 J.Pजैसेमहापुरुष इस,
धरती के संतान हुए ।
राजनितिक का यह है देश। 

देख के भारत की दुर्दशा,
मन का भाव छलक उठा,
आगे क्या मई लिखू कविता,
हृदय मेरा कांप गया,
राजनितिक का यह है देश,
समझो तुम गुलाम इसे।
                     संतोष कुमार 

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